परनारी की प्रीत करे,
नंगटा चोड़े धाड़े।
दोहा – परनारी मीठी छुरी,
तीन ठोड़ से खाय,
जीवत खावे काळजो,
मर्या नरक ले जाय।
परनारी के कारने,
मर गया रावण शिशुपाल,
पर नारी त्याग दे मूर्ख,
मिट जावे तेरा काल।
परनारी की प्रीत करे,
नंगटा चोड़े धाड़े,
खुद का घर को खोज गमावे,
जड़ा मूल से पाड़े।।
जोर जवानी सब खो बैठे,
तन मन धन की हानि,
एसो मूर्ख कैसे समझे,
समझे उसकी कहानी।।
बिना कमाई पेसो कैसे आवे,
कोन करावे तेरी शादी,
हिम्मत हर बेठ गयो भांदू,
खोई पिता की गादी।।
पांच पंचा में कैसे बोले,
कलंक लगायो भारी,
भरी सभा मे जुता खावे,
नही छुड़ावे घर नारी।।
मात पिता को नाम लज्जावे,
जन्म लेर पछतावे,
साधु संत को केणो न माने,
गापल गोता खावे।।
मात पिता मर जावे जद,
जमी बेच कर डाले,
केवे हंसराम पुत्र नही दुश्मन,
बिना मोत का मारे।।
पर नारी की प्रीत करे,
नंगटा चोड़े धाड़े,
खुद का घर को खोज गमावे,
जड़ा मूल से पाड़े।।
भजन गायक – चम्पा लाल प्रजापति।
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