पर्व पर्युषण आया है,
घर घर में खुशियां लाया है,
पर्वो का राजा कहलाये,
हम जैनो ने ये पाया है।।
तर्ज – तारो का चमकता।
ये शास्वत महापर्व है,
आगम में जिसका बखान है,
धर्म ध्यान और क्षमादान,
ये पर्व बड़ा महान है,
जिन मंदिर और उपाश्रय में,
प्रभु भक्ति का रंग छाया है,
पर्व पर्यूषण आया है,
घर घर में खुशियां लाया है।।
देखो चारो ओर बहारें है,
बड़े सुंदर ये नजारे है,
इस पर्व जैसा कोई पर्व नही,
देखो जागे भाग्य हमारे है,
ये आठ दिवस का उत्सव है,
जिन वाणी का महोत्सव है,
हमे मिलकर इसे मनाना है,
इस पर्व को दिल में बसाना है,
पर्व पर्यूषण आया है,
घर घर में खुशियां लाया है।।
आओ सब प्रेम से मिलकर के,
पर्व प्रयुषण मनाएंगे,
हम राग द्वेष को त्याग दिलो में,
समता की ज्योत जगाएंगे,
‘दिलबर’ आओ करले नमन,
ये पर्व जो द्वारे आया है,
पर्व पर्यूषण आया है,
घर घर में खुशियां लाया है।।
पर्व पर्युषण आया है,
घर घर में खुशियां लाया है,
पर्वो का राजा कहलाये,
हम जैनो ने ये पाया है।।
गायिका – प्राची जैन मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365