पर्व पर्युषण द्वार पे आये,
अंतर मन से वधाओं रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।।
आठ दिनों का पर्व सुहाना,
पर्युषण कहलाता है,
जिओ ओर जीने दो का,
सिद्धांत हमे सिखलाता है,
प्रभु वीर की राह पे चलकर,
जीवन धन्य बनाओ रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।।
पूजा भक्ति त्याग तप का,
यह त्यौहार निराला है,
कहती है ये जिन वाणी ये,
कर्म खपाने वाला है,
दिल मे बसाकर महापर्व को,
मोक्ष पद को पाओ रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।।
संवत्सरी प्रतिक्रमण करके,
खमत ख़ामणा करते है,
क्षमावान बनकर के जग में,
मैत्री भाव से रहते है,
‘दिलबर’ हम सन्तान वीर की,
मिलकर पर्व मनाओ रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।।
पर्व पर्युषण द्वार पे आये,
अंतर मन से वधाओं रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।।
गायक / रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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