पर्वो में पर्युषण,
हम जैनो की शान,
धर्म ध्यान और क्षमादान का,
पर्व ये बड़ा महान,
श्वेताम्बर दिगम्बर हो,
करते सभी गुणगान,
धर्म ध्यान और क्षमादान का,
पर्व ये बड़ा महान।।
तर्ज – तुझको ना देखूं तो।
जप तप व्रत के,
दिन ये सुहाने,
गुरूवर पधारे,
जिन वाणी सुनाने,
स्वर्णिम ये अवसर,
बीत न जाये,
आओ धर्म की,
ज्योत जगाये,
महावीर की वाणी का,
आओ करे रसपान,
धर्म ध्यान और क्षमादान का,
पर्व ये बड़ा महान।।
आये पर्युषण,
अंगना हमारे,
मंदिर सजे है,
प्रभुवर के प्यारे,
दर्शन पूजन में,
लम्बी कतारे,
प्रभु की भक्ति,
सांझ सवेरे,
पर्व सुहाना आँगन आया,
आओ करे सम्मान,
महिमा अपरम्पार है,
‘दिलबर’ कैसे करूँ बखान,
धर्म ध्यान और क्षमादान का,
पर्व ये बड़ा महान।।
पर्वो में पर्युषण,
हम जैनो की शान,
धर्म ध्यान और क्षमादान का,
पर्व ये बड़ा महान,
श्वेताम्बर दिगम्बर हो,
करते सभी गुणगान,
धर्म ध्यान और क्षमादान का,
पर्व ये बड़ा महान।।
गायिका – प्राची जैन मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365