पता नहीं किस रूप में आकर,
शिव शंकर मिल जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
भोलेनाथ का दर्शन पाएगा,
पता नही किस रूप में आकर,
शिव शंकर मिल जाएगा।।
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झूठ कपट निंदा को त्यागो,
हर प्राणी से प्यार करो,
घर आए अतिथि कोई तो,
यथा शक्ति सत्कार करो,
शिव शंकर के सुमिरन से जो,
मन का मेल छुड़ाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
भोलेनाथ का दर्शन पाएगा,
पता नही किस रूप में आकर,
शिव शंकर मिल जाएगा।।
नर शरीर अनमोल रे प्राणी,
शिव कृपा से पाया है,
झूठे जग प्रपंच में पड़कर,
क्यों शिव को बिसराया है,
समय हाथ से निकल गया तो,
सिर धुन धुन पछतायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
भोलेनाथ का दर्शन पाएगा,
पता नही किस रूप में आकर,
शिव शंकर मिल जाएगा।।
दौलत का अभिमान है झूठा,
ये तो आनी जानी है,
राजा रंक अनेकों हुए,
कितनों की सुनी कहानी है,
शिव नाम का महामंत्र ही,
साथ तुम्हारे जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
भोलेनाथ का दर्शन पाएगा,
पता नही किस रूप में आकर,
शिव शंकर मिल जाएगा।।
पता नहीं किस रूप में आकर,
शिव शंकर मिल जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
भोलेनाथ का दर्शन पाएगा,
पता नही किस रूप में आकर,
शिव शंकर मिल जाएगा।।
Singer – Upasana Mehta