मेरे खाटू वाले के,
दर पे जो आता है,
सुख सारे जीवन का,
फिर वो ही पाता है,
जो हार जाते है,
उनको ही जिताता है,
फिर मैं क्यूँ हारा हूँ,
फिर मैं क्यूं हारा हूँ।।
तर्ज – जो प्यार करता है।
झूठी है दुनिया,
झूठी है माया,
मतलब का बाबा ये,
संसार सारा,
हार गया हूँ बाबा,
अब तो तू आजा,
तेरे ही दर पे सुना है बाबा,
जो हार के आते है,
उनका बन जाता है,
फिर मैं क्यूं हारा हूँ,
फिर मैं क्यूं हारा हूँ।।
दर दर की मैंने,
ठोकर है खाई,
सारी ही दुनिया ने,
ठुकरा दिया है,
थक सा गया हूँ बाबा,
तेरी कमी है,
‘लवप्रीत’ ने भी,
सुना है बाबा,
जो हार के आते है,
उनका बन जाता है,
फिर मैं क्यूं हारा हूँ,
फिर मैं क्यूं हारा हूँ।।
मेरे खाटू वाले के,
दर पे जो आता है,
सुख सारे जीवन का,
फिर वो ही पाता है,
जो हार जाते है,
उनको ही जिताता है,
फिर मैं क्यूँ हारा हूँ,
फिर मैं क्यूं हारा हूँ।।
Singer – Loveprit Vishwakarma