पिंजरा पुराना तेरा हो गया रे,
अरे दीवाना,
पिंजरा तो हो गया पुराना,
पुराना पुराना।।
इस तन को तेने खुब नहाया,
मल मल मखमल खूब पहनाया,
चरका मीठा खूब खिलाया,
भांति भांति पकवाना,
मुंह दांत नही पेट आंत नही,
हो गया हराम खाना रे,
पिंजरा तो हो गया पुराना,
पुराना पुराना।।
कानो में बेरा पन लाया,
आखों मे अंधा पन छाया,
गोडा टूट गला मे आया,
बंद हो गया आना जाना,
थर थर कापी काया थारी,
श्वास कियो हेराना रे,
पिंजरा तो हो गया पुराना,
पुराना पुराना।।
पड़े खप की पटिया पटिया,
ढाल दी पोल मे खटिया,
खटिया माही करदी टटिया,
नज़दीक नावे नाना,
मरे न माचो छोड़े बेटा,
बहुआ मारे ताना रे,
पिंजरा तो हो गया पुराना,
पुराना पुराना।।
अब नायो धोयो नही जावे,
देह माई ने दुर्गंध आवे,
गोदडिया में जूवा खावे,
परवश पड्यो वीराना,
मीठा की बावड़ आवे पन,
कोई न सुने काना रे,
पिंजरा तो हो गया पुराना,
पुराना पुराना।।
बहु लाडिया रापर माया,
बेटा पोता हिया पराया,
देख दशा सम्लो रै भाया,
फेर पड़े पछताना,
मुक्ति की चुक्ति कर ‘भैरव’,
आने मे परवाना रे,
पिंजरा तो हो गया पुराना,
पुराना पुराना।।
पिंजरा पुराना तेरा हो गया रे,
अरे दीवाना,
पिंजरा तो हो गया पुराना,
पुराना पुराना।।
गायक – पं भैरव शंकर जी शर्मा।
प्रेषक – राजू मीणा।
7878828737