पपैया पियाजी री वाणी मत बोलो,
दोहा – प्रीतम प्रीत लगाय के,
तुम दूर देश मत जाओ,
बसों हमारी नगरी में,
पिया हम मांगे तुम खाये।
कागा रे सब तन खाविये,
कागलिया क्वार सब तन खावियो,
म्हारा चुन चुन खाईजे मास,
दो नैना मत खावजो,
म्हाने पीया मिलन री आस।
जो कोई पियाजी री प्यारी सुने रे,
देवे थारी चोच ने मरोड़,
पपैया पियाजी री वाणी मत बोलो।।
चोंच कटावु पपैया थारी,
ऊपर घालु लूण,
पिवजी म्हारा मैं पीया री,
तू कुन केवन वालो रे पपैय्या,
पियाजी री वाणी मत बोलो।।
थारा वचन सुहावना,
ऐ तू पीयू पीयू करे रे पुकार,
चोंच मंडावु थारी सोवनी रे,
तू म्हारे सिर रो मोड़ पपैय्या,
पीयाजी री वाणी मत बोल।।
म्हारा पियाजी ने पत्तियां भेजू,
ये तू पंछी ले जा,
जाये पियाजी ने यू कहिजे रे,
आप बिना धान नही भावे रे पपैय्या,
पियाजी री वाणी मत बोलो।।
मीरा दासी व्याकुल भई,
पिवजी मिला दे मोर,
अरे वेगा मिलो रे म्हारा अंतर्यामी,
तुम बिन रहियो नही जावे पपैय्या,
पियाजी री वाणी मत बोलो।।
जो कोई पियाजी री प्यारी सुने रे,
देवे थारी चोच ने मरोड़,
पपैया पियाजी री वाणी मत बोलो,
पपैया पियाजी री वाणी मत बोलो।।
स्वर – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – श्रवण सिंह राजपुरोहित।
Ph. +91 90965 58244
Bhut hi sandar lga mene yed bhi kiya
Bahut acha laga ye bhajan me bolunga esko
No1 bajan hai
Parkash mali ji ko mera namskar