प्रबल प्रेम के पाले पड़ के,
प्रभु का नियम बदलते देखा,
अपना मान भले टल जाए,
भक्त का मान न टलते देखा।।
जिसकी केवल कृपा दृष्टी से,
सकल विश्व को पलते देखा,
उसको गोकुल में माखन पर,
सौ सौ बार मचलते देखा।।
जिसका ध्यान बिरंची शम्भू,
सनकादिक ना संभलते देखा,
उसको ग्वाल सखा मंडल में,
लेकर गेंद उछलते देखा।।
जिनके चरण कमल कमला के,
करतल से ना निकलते देखा,
उनको ब्रज की कुञ्ज गलिन में,
कंटक पथ पर चलते देखा।।
जिसकी वक्र भृकुटी के भय से,
सागर सप्त उबलते देखा,
उसको माँ यशोदा के भय से,
अश्रु बिंदु दृग ढलते देखा।।
प्रबल प्रेम के पाले पड़ के,
प्रभु का नियम बदलते देखा,
अपना मान भले टल जाए,
भक्त का मान न टलते देखा।।
गायक – अनूप जलोटा जी।
प्रेषक – शिवकुमार शर्मा।
9926347650
ये भजन भी देखें – ना जाने कौन से गुण पे।