प्रभु जो तुम्हे हम,
बताकर के रोये,
बताकर के रोये,
उसे दिल में कब से,
दबा कर के रोये,
प्रभु जो तुम्हें हम,
बताकर के रोये।।
तर्ज – मोहब्बत की झूठी।
किसी ने ना समझी,
मेरी बेक़रारी,
मिला ना कोई अपना,
दुनिया में सारी,
इसी बेबसी को,
छुपा कर के रोये,
प्रभु जो तुम्हें हम,
बताकर के रोये।।
समझ कर मुक़द्दर,
हमारा यही है,
जो तुमने लिखा है,
वो होता सही है,
ख़ुशी में है सबको,
जताकर के रोये,
प्रभु जो तुम्हें हम,
बताकर के रोये।।
मोहब्बत है क्या चीज़,
वफ़ा किसको कहते,
नहीं खोज पाओगे,
दुनिया में रहते,
हम ही ऐसे बंधन,
निभा कर के रोये,
प्रभु जो तुम्हें हम,
बताकर के रोये।।
ये दिल की जो बातें,
तुम्हे कह रहे है,
है छाले जो नैनो की,
राह बह रहे है,
‘पंकज’ तुम्हे जो,
दिखा कर के रोये,
प्रभु जो तुम्हें हम,
बताकर के रोये।।
प्रभु जो तुम्हे हम,
बताकर के रोये,
बताकर के रोये,
उसे दिल में कब से,
दबा कर के रोये,
प्रभु जो तुम्हें हम,
बताकर के रोये।।
Singer – Sanjay Pareek Ji