प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार,
श्लोक – गुरू ब्रह्म गुरु विष्णु,
गुरु देवो महेश्वर:,
गुरु साक्षात परब्रह्म,
तस्मै श्रीगुरूवै नम:।
ध्यानमूलं गुरुमूर्ति:,
पूजामूलं गुरु: पदम्,
मंत्रमूलं गुरूवाक्यं,
मोक्षमूलं गुरु कृपा।।
दोहा – अरे शब्द विवेकी पारखु,
मारे सिर माथे रा मोर,
सब संतो ने वंदगी,
भई अपनी अपनी ठोर।
एक पार ब्रह्म रे रूप चतुर धर,
अरे भई लीला रची रे अपार,
प्रणाम गुरू देंवजी ने बारम्बार,
बारम्बार मेरा बारम्बार,
प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार।।
अरे ब्रह्म रूप धरने वेद प्रकट कर,
रचीयो है सकल संसार,
प्रणाम गुरू देंवजी ने बारम्बार,
बारम्बार मेरा बारम्बार,
प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार।।
अरे विष्णु रूप धरने विश्व रो पालनहार,
अरे धर्म हेत अवतार,
सबरी करे है सहाय,
प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार,
बारम्बार मेरा बारम्बार,
प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार।।
अरे रूद्र रूप धरने दुष्ट दलन आव,
अरे भई करे है पल में प्रहार,
प्रणाम गुरू देंवजी ने बारम्बार,
बारम्बार मेरा बारम्बार,
प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार।।
अरे अचलूरामजी मुक्ति रे कारण,
अरे गुरू मूर्ती लेयजो धार,
प्रणाम गुरू देंवजी ने बारम्बार,
बारम्बार मेरा बारम्बार,
प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार।।
एक पार ब्रह्म रे रूप चतुर धर,
अरे भई लीला रची रे अपार,
प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार,
बारम्बार मेरा बारम्बार,
प्रणाम गुरू देवजी ने बारम्बार।।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818