प्रेमी का प्रेम निभाता,
तू प्रेम के वश हो जाता,
निज प्रेमी से मिलवाता,
हमें प्रेम की राह दिखाता,
तू प्रेमी तो बड़ा ही प्यारा है,
हारे का सहारा है।।
तर्ज – सूरज कब दूर गगन से।
तेरे प्रेम की भाषा,
जिसको समझ में आये,
उसके अंतर मन में,
प्रेम दीप जल जाये,
प्रेमी की लाज बचाता,
प्रेमी का मान बढ़ाता,
निज प्रेमी से मिलवाता,
हमें प्रेम की राह दिखाता,
तू प्रेमी तो बड़ा ही प्यारा है,
हारे का सहारा है।।
प्रेम तुम्हारा पाकर,
प्रेमी शुकर मनाएँ,
तेरे प्रेम के धागे,
दिन दिन कसते जाएँ,
इतना तू प्रेम लुटाता,
दामन छोटा पड़ जाता,
निज प्रेमी से मिलवाता,
हमें प्रेम की राह दिखाता,
तू प्रेमी तो बड़ा ही प्यारा है,
हारे का सहारा है।।
तोड़े से नहिं टूटे,
प्रेम अटल है अपना,
तूने हर प्रेमी का,
पूरण किया है सपना,
‘चोखानी’ तुझे रिझाता,
भजनों की भेंट चढ़ाता,
तू प्रेमी से मिलवाता,
हमें प्रेम की राह दिखाता,
तू प्रेमी तो बड़ा ही प्यारा है,
हारे का सहारा है।।
प्रेमी का प्रेम निभाता,
तू प्रेम के वश हो जाता,
निज प्रेमी से मिलवाता,
हमें प्रेम की राह दिखाता,
तू प्रेमी तो बड़ा ही प्यारा है,
हारे का सहारा है।।
Singer – Neha Rai