मुरलिया वाले से,
नन्द के लाला से,
उन्हीं पे जीवन निसार हो गया है,
प्यार हो गया जी हमें,
प्यार हो गया है।।
मेरी आंखे मेरे दिलबर,
तुझे ही ढूंढती है,
मिला है सारा जहां,
पर तुझे ही ढूंढती है,
सभा मे द्रौपदी की,
लाज बचाने वाले,
कन्हैया साँवरे सरकार,
तुझे ढूंढती है,
अब तो मिल जाओ ना,
साँवरे आओ ना,
विरह का एक क्षण,
पहाड़ हो गया है,
प्यार हो गया जी हमे,
प्यार हो गया है।।
तुम्हारे चरणों में आके,
जमाना भूल गए,
तुम से आंखे मिली तो,
सब बहाना भूल गए,
तेरी चाहत की ये दीवानगी,
भी क्या कम है,
खुद को भूले ही थे,
अपना ठिकाना भूल गए,
छटा दिखलाओ ना,
साँवरे आओ ना,
मेरा मन श्याम का,
सिंगार हो गया है,
प्यार हो गया जी हमे,
प्यार हो गया है।।
मुरलिया वाले से,
नन्द के लाला से,
उन्हीं पे जीवन निसार हो गया है,
प्यार हो गया जी हमें,
प्यार हो गया है।।
लेखन – आचार्य श्री श्यामलकिशोर जी महाराज।
भजन गायक – विद्याकान्त झा।
9931244994