प्यारो लगे नंदलाला,
हमें तो बड़ो प्यारो लागे।।
शीश मुकुट और तिलक विराजे,
गल वैजयंती माला,
हमें तो बड़ो प्यारो लागे।।
छैल छबिलो रंगीलौ,
मोहन मुरली वाला,
हमें तो बड़ो प्यारो लागे।।
एक ही धुन अब नीकी लागे,
मुरली धुन गोपाला,
हमें तो बड़ो प्यारो लागे।।
रसिया बिन सब फीको लागे,
छप्पन भोग रसाला,
हमें तो बड़ो प्यारो लागे।।
मेरो सर्वस्व एक प्राण धन,
एक ही दीनदयाला,
हमें तो बड़ो प्यारो लागे।।
लगन श्याम पिया की जब लागी,
मिट गए सब जंजाला,
हमें तो बड़ो प्यारो लागे।।
प्यारो लगे नंदलाला,
हमें तो बड़ो प्यारो लागे।।
प्रेषक – ऋषि विजयवर्गीय।
8959427199