राधा रानी दया करके,
बरसाना बसा लेना,
चरणों में श्यामाजू,
थोड़ी सी जगह देना,
राधा रानी दया करकें,
बरसाना बसा लेना।।
संसारिक दौलत की,
मुझे कुछ भी चाह नही,
शौहरत और जन्नत की,
कोई परवाह नही,
दो बूंदे रहमत की,
दो बूंदे रहमत की,
मुझ पर बरसा देना,
राधा रानी दया करकें,
बरसाना बसा लेना।।
भटके हुऐ भगतों का,
विश्वास तुम्ही तो हो,
‘पागल’ जैसे रसिकों की,
ईक आस तुम्ही तो हो,
चरणों से लगाकर के,
चरणों से लगाकर के,
जो चाहे सजा देना,
राधा रानी दया करकें,
बरसाना बसा लेना।।
तेरी याद ने श्यामाजू,
मुझे कितना रुलाया है,
जग ढूंढ लिया सारा,
कहीं चैन ना पाया है,
‘मामा’ को चौखट का,
‘मामा’ को चौखट का,
कुत्ता ही बना लेना,
राधा रानी दया करकें,
बरसाना बसा लेना।।
राधा रानी दया करके,
बरसाना बसा लेना,
चरणों में श्यामाजू,
थोड़ी सी जगह देना,
राधा रानी दया करकें,
बरसाना बसा लेना।।
– गायक एवं प्रेषक –
रसिक पागल मामा।
9991515880