राधे के चरणों में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते,
हो जाते बेकार अगर ये,
और कही बह जाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
घुट कर अंदर अंदर जब,
दिल का दर्द उबलता है,
बाँध तोड़ कर पलको के,
आंसू का दरिया बहता है,
बह जाते है आंसू पर,
दिल को हल्का कर जाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
उसके आगे क्या रोना जो,
मोल ना आंसू का जाने,
अंतर् मन की पीड़ा केवल,
अंतर्यामी पहचाने,
बोल नहीं सकते हम जो कुछ,
वो आंसू कह जाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
ममतामयी मेरी राधे जी,
आंसू देख पिगल जाती,
लाल के बहते आंसू में,
उसकी करुणा भी बह जाती,
माँ की गोद से ज्यादा बच्चे,
और कहाँ सुख पाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
राधे के चरणों में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते,
हो जाते बेकार अगर ये,
और कही बह जाते,
राधे के चरणो में गिरकर,
आसूँ मोती बन जाते।।
स्वर – मनीष भट्ट जी।