राधे की हवेली में,
जन्नत का नजारा है,
राधे की हवेली मे,
जन्नत का नजारा है,
प्यारी के बगल बैठा,
प्यारा वो हमारा है।।
क्यूँ ढूंढे कहीं इनको,
दीदार यहीं कर लो,
जी भर के देखो इन्हे,
मनुहार यहीं कर लो,
मस्ती में वो झूमें,
एक बार निहारा है,
प्यारी के बगल बैठा,
प्यारा वो हमारा है।।
उपमा ही नहीं मिलती,
क्या सुन्दर जोड़ी है,
इक साँवल मन बसिया,
इक चाँद चकोरी है,
मीठी सी मुस्कन पे,
सांवल दिल हारा है,
राधे की हवेली मे,
जन्नत का नजारा है।।
राधे की हवेली में,
प्रभु स्वयं पधारे है,
दर्शन ये सुलभ हुआ,
निरखत ना थके नैना,
श्रृंगार वो प्यारा है,
राधे की हवेली में,
जन्नत का नजारा है।।
इस युगल छवि पे तो,
‘चोखानी’ है बलिहारी,
भक्तो को दर्शन से,
मिलती है खुशहाली,
‘पंकज’ को सेवा मिली,
ये सच्चा द्वारा है,
राधे की हवेली मे,
जन्नत का नजारा है।।
राधे की हवेली मे,
जन्नत का नजारा है,
राधे की हवेली में,
जन्नत का नजारा है,
प्यारी के बगल बैठा,
प्यारा वो हमारा है।।
स्वर – पंकज जी निगम
भजन – प्रमोद जी चोखानी