रघुनंदन प्राण हमारा,
मुनि यह क्या वचन उच्चारा।।
मुनि मांगों देश खजाना,
मनभावत लीजे दाना,
मेरा जीवन इनके लारा,
रघुनंदन प्राण हमारा।।
यह बनत न बात गोसाई,
मन मानत मेरा नाही,
मेरा राम है प्राण आधारा,
रघुनंदन प्राण हमारा।।
कहाँ वे निशिचर बलवाना,
कहाँ यह बालक अनजाना,
अब तुम ही करो विचारा,
रघुनंदन प्राण हमारा।।
यो तुलसीदास यश गावे,
नृप मुनिवर को समझावे,
यह बालक बहुत कुमारा,
रघुनंदन प्राण हमारा।।
रघुनंदन प्राण हमारा,
मुनि यह क्या वचन उच्चारा।।
स्वर – महंत परमहंस डॉ.श्री रामप्रसाद जी महाराज।
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