रघुवर का सेवक पुराना लगता है,
हमको तो ये राम दिवाना लगता है,
ज्यादा ना देखो नजर लग जायेगी,
किर्तन की ये रात दोबारा आयेगी,
रघुवर का सेवक पूराना लगता है।।
तर्ज-दुल्हे का सेहरा सुहाना लगता है
क्या क्या किया श्रीराम ने हनुमान के खतिर,
क्या क्या किया हनुमान ने श्रीराम के खातिर,
मुश्किल शब्दों में बताना लगता है,
हमको तो ये राम दिवाना लगता है,
रघुवर का सेवक पूराना लगता है।।
श्रीराम के बिन बेकार थी मोती की वो माला,
तो चीर कर हनुमान ने सीना दिखा डाला,
मुझको तो ये राम दिवाना लगता है,
रघुवर का सेवक पूराना लगता है।।
पाना हो अगर हनुमान को तो राम को भजले,
पाना हो अगर श्रीराम को हनुमान को भजले,
भक्तों को चरनों में ठिकना लगता है,
मुझको तो ये राम दिवाना लगता है,
रघुवर का सेवक पुराना लगता है।।
रघुवर का सेवक पुराना लगता है,
हमको तो ये राम दिवाना लगता है,
ज्यादा ना देखो नजर लग जायेगी,
किर्तन की ये रात दोबारा आयेगी,
रघुवर का सेवक पुराना लगता है।।
Bhajan submitted by our Fan – Mr. “Rohit”
Jhalarapatan (Rajasthan)