रहमत तो तेरी हर पल,
तेरे दर पे बरसती है,
मिलने को तुमसे श्याम,
मेरी रूह तरसती है,
रहमत तों तेरी हर पल,
तेरे दर पे बरसती है।।
तर्ज – होंठों से छू लो तुम।
सोचा था कभी मैंने,
पकड़ोगे हाथ मेरा,
तुमने तो छोड़ दिया,
दो पल में साथ मेरा,
दिल तो मेरा रोता है,
आंखें मेरी हंसती है,
रहमत तों तेरी हर पल,
तेरे दर पे बरसती है।।
ना तुमसे कोई शिकवा,
ना कोई शिकायत है,
दो पल ही सही मुझपे,
तेरी हुई इनायत है,
आंखों से बहे आंसू,
ये प्रेम की मस्ती है,
रहमत तों तेरी हर पल,
तेरे दर पे बरसती है।।
ना कोई सुनापन,
अब है मेरे जीवन में,
कभी रहता था तन्हा,
अब तुम्हीं तो हो मन में,
मेरा तुम तक पहुंचेगा,
पैग़ाम ये दस्ती है,
रहमत तों तेरी हर पल,
तेरे दर पे बरसती है।।
सब तुमको कहे बाबा,
“जालान” तो बाबू* है,
अब दिल भी खूद मेरा,
ना मेरे काबू है,
यहां सब है दिवाने तेरे,
ये ऐसी बस्ती है,
रहमत तों तेरी हर पल,
तेरे दर पे बरसती है।।
– *बाबू (बच्चा )
रहमत तो तेरी हर पल,
तेरे दर पे बरसती है,
मिलने को तुमसे श्याम,
मेरी रूह तरसती है,
रहमत तों तेरी हर पल,
तेरे दर पे बरसती है।।
गायक – कृष्ण कुमार।
भजन लेखक – पवन जालान।
9416059499 भिवानी (हरियाणा)