राजत सरयु तट रघुबीर,
अनुज समेत दनुज बल भंजन,
सस्मित मदन शरीर,
राजत सरयु तट रघुवीर।।
रूप शील सुख अयन नयन जनु,
रूप शील सुख अयन नयन जनु,
लगत हृदय महुँ तीर,
राजत सरयु तट रघुवीर।।
कुंचित कच जनु मधुप विराजत,
कुंचित कच जनु मधुप विराजत,
चारु नासिका कीर,
राजत सरयु तट रघुवीर।।
भाल तिलक कन कुंडल राजत,
भाल तिलक कन कुंडल राजत,
दमकत दामिनि चीर,
राजत सरयु तट रघुवीर।।
अरुन अधर मधुबोल सुहावन,
अरुन अधर मधुबोल सुहावन,
बोलनि चलनि रुचीर,
राजत सरयु तट रघुवीर।।
आए भार हरन अवनी के,
आए भार हरन अवनी के,
भंजन भव भय भीर,
राजत सरयु तट रघुवीर।।
राजत सरयु तट रघुबीर,
अनुज समेत दनुज बल भंजन,
सस्मित मदन शरीर,
राजत सरयु तट रघुवीर।।
रचनाकार – ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र।