राजीव नयन को,
स्वतः चयन को,
जयमाला पहनाओ,
जय माला पहनाओ,
संमुख है रघुवर,
दुर्लभ अवसर,
यह अवसर ना गंवावो,
जयमाला पहनाओ।।
देखे – श्री रघुवर कोमल कमल नयन को।
क्यों लज्जा मंडित चरणों से,
बढ़ जाने का साहस ना जुटे,
शिव धनुष राम ने उठा लिया,
सखी पुष्प माल तुमसे ना उठे,
सखी पुष्प माल तुमसे ना उठे,
जय का प्रतिक जय माल डालकर,
विजय राम पर पाओ,
विजय राम पर पाओ,
राजीवनयन को,
स्वतः चयन को,
जयमाला पहनाओ,
जयमाला पहनाओ।।
नयनों के निकट नयन निधि है,
नयनों को यह विश्वास तो हो,
इस दिघ प्रतिक्षित मधुक्षण का,
किंचित मुझको आभास तो हो,
सजनी थोड़ा आभास तो हो,
दुविधा संकोच में पड़ कर सिते,
अब ना विलम्ब लगाओ,
अब ना विलम्ब लगाओ,
राजीवनयन को,
स्वतः चयन को,
जयमाला पहनाओ,
जयमाला पहनाओ।।
जयमाला में निज हृदय गूथ,
सिया रंग मंच की ओर चली,
लक्ष्मी चली विष्णु के वरण हेतु,
ज्यूँ चंद्र की ओर चकोर चली,
ज्यूँ चंद्र की ओर चकोर चली,
माल्यार्पण की शुभ लगन आ गई,
मंगल गीत सुनाओ,
मंगल गीत सुनाओ,
यह शाश्वत जोड़ी निरख निरख कर,
जीवन सफल बनाओ,
जीवन सफल बनाओ।।
राजीव नयन को,
स्वतः चयन को,
जयमाला पहनाओ,
जय माला पहनाओ,
संमुख है रघुवर,
दुर्लभ अवसर,
यह अवसर ना गंवावो,
जयमाला पहनाओ।।
स्वर – श्री रविंद्र जैन जी और टीम।
प्रेषक – मनमोहन।
6268046938