काशी से तो हम चल आये,
तेरी सुणी बढ़ाई,
केवे कबीर सा सुणो गोरखजी,
सिमरन री गति काई,
राम भजन रा लावा लेलो,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
गौरी महर पर धूणा हमारा,
पल सुतापल जागे रे,
एक पलक में जादू का ढूंढिया,
मैं जोगी अबधुता
राम भजन रा लावा लेलों,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
गौरी महर पर क्या धूणा तापया,
त्रिकुटी ध्यान लगाई रे,
झरना गांजा तो बन में मोकला,
वासु तो मुगति नाही,
राम भजन रा लावा लेलों,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
साध हुआ तो क्या हुआ,
सो तेरा सायब उल्टा रे,
उल्टे नीर चढ़े जल मछिया,
ऐसे तो हमको पढाया,
राम भजन रा लावा लेलों,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
सूखेगा नीर मरेगी मछिया,
जैसे न्यारा न्यारा रे,
ऐसी तो करणी साजो गोरखा,
भवजल उतरो पारा
राम भजन रा लावा लेलों,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
जल भी उला थल भी उला,
उलार फुआरा रे,
मैं तो उला मारा सतगुरु उला,
उला दास कबीरा,
राम भजन रा लावा लेलों,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
कबीर ने गोरख मिलग्या,
भव सागर के तीरा रे,
कबीर का तो साँचा मेटिया,
कह गया गोरख बाला,
राम भजन रा लावा लेलों,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
काशी से तो हम चल आये,
तेरी सुणी बढ़ाई,
केवे कबीर सा सुणो गोरखजी,
सिमरन री गति काई,
राम भजन रा लावा लेलो,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
गायक / प्रेषक – श्यामनिवास जी।
9983121148