राम गुण ऐसे गाणा रे,
दोहा – नाथ उन्ही को जानिये,
नाथे पांचों भूत,
श्री लादुनाथ मन नाथ के,
जोगी बणे अवधूत।
गाँव मंसूरी धाम,
धर्म का धोरा लाग्या,
प्रगटे लादुनाथ,
भूत जमदूत दूरा भाग्या।
राम गुण ऐसे गाणा रे,
हरि गुण ऐसे गाणा रे,
कंठ होठ तो जिभ्या बिना निर्भय,
नाम उठाणा रे।।
लगनी डोर नाम का मणिया,
सत में पौणा रे,
कर बिना माळा घट में फेरों,
निरभे रैणा रे,
राम गुण ऐसे गाना रे।।
आसन कांई का लगा के धुन में,
ध्यान जमाणा रे,
नाभि सू शब्द उठाके सुन्न में,
शब्द चढाणा रे,
राम गुण ऐसे गाना रे।।
अला पिंगला साज सुखमणा,
तार मिलाणा रे,
रंग महल के बैठ झरोखे,
ढोल घुराणां रे,
राम गुण ऐसे गाना रे।।
जाग्या लादुनाथ सुता,
हंस जगाणा रे,
किरपानाथ सतगुरु जी रे शरणे,
ठाया करिया ठिकाणा रे,
राम गुण ऐसे गाना रे।।
राम गुण ऐसे गाणा रें,
हरि गुण ऐसे गाणा रे,
कंठ होठ तो जिभ्या बिना निर्भय,
नाम उठाणा रे।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052