राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में,
नीलमणि ही जड़ाऊँगी,
अपने मन की मुंदरियाँ मे,
राम जैसा नगीना नही,
सारे जग की बजरिया में।।
राम का नाम प्यारा लगे,
रसना पे बिठाऊँगी मैं,
मृदु मूरत बसाऊँगी,
नैनों की पुतरिया में,
राम जैसा नगीना नही,
सारे जग की बजरिया में।।
है झूठे सभी रिश्ते,
और झूठे सभी नाते,
दूजा रंग न चढ़ाऊँगी,
अपनी श्यामल चदरिया में,
राम जैसा नगीना नही,
सारे जग की बजरिया में।।
जल्दी से जतन करके,
राघव को रिझाना है,
कुछ दिन ही तो रहना है,
काया की कोठरिया में,
राम जैसा नगीना नही,
सारे जग की बजरिया में।।
राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में,
नीलमणि ही जड़ाऊँगी,
अपने मन की मुंदरियाँ मे,
राम जैसा नगीना नही,
सारे जग की बजरिया में।।
गायक – रजनी भारती।
प्रेषक – दुर्गा प्रसाद।
9713315873