राम जी की मत कर चोरी रे,
जोधा घणा हुया धरती पर,
जाकी चली नहीं जोरी रे।।
चोरी करी लंका को रावण,
राम जी की हर लायो गोरी रे,
करियो कुटम्ब को नास,
झूठी माया बटोली रे।।
चोरी करी हिरणाकुश राजा,
निकल्यो थोरी रे,
भक्त सतायो अंत निशायो,
जाकी उड़ गयी खोरी रे।।
चोरी करी दुर्योधन शिशुपाला,
अनीति घोरी रे,
मे मे करता जलता बल गया,
जैसे होली रे।।
थारी मेरी छोड़ रामजी की,
पकड़ो डोरी रे,
चेतन भारती कहे भक्ति करले,
मुक्ति होवें होरी रे।।
राम जी की मत कर चोरी रे,
जोधा घणा हुया धरती पर,
जाकी चली नहीं जोरी रे।।
गायक – नन्दलाल गुर्जर डोड़ियाना।
7742263326