राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं,
दूसरा कोई नहीं, दूसरा कोई नहीं,
कहता है सारा ज़माना दूसरा कोई नहीं,
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं।।
खोज सीता जी की लाए,
सोने की लंका जलाए,
धीर रघुवर को बँधाए,
दूसरा कोई नहीं,
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं।।
राम के रंग में रंगे है,
राम सांसो में रमे है,
राम सीने में बसे है,
दूसरा कोई नहीं,
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं।।
राम की सेवा में जीवन,
कर दिया जिस ने समर्पण,
राम को अभिमान जिनपे,
दूसरा कोई नहीं,
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं।।
राम जी का भक्त ऐसा,
ना हुआ होगा कोई,
राम भी मोहित है जिसपे,
दूसरा कोई नहीं,
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं।।
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं,
दूसरा कोई नहीं, दूसरा कोई नहीं,
कहता है सारा ज़माना दूसरा कोई नहीं,
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं।।
स्वर – मोना जी मेहता।
प्रेषक – सुरेश कुमार जादौन।