राम मेरे घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे,
भीलनी को भारी आस है,
भीलनी को भारी आस है,
और मन में ये विश्वास है,
राम मेरें घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे।।
तर्ज – धीरे धीरे बोल कोई।
अंगना रस्ता रोज बुहार रही,
खड़ी खड़ी वो राह निहार रही,
घबरा रही, सकुचा रही,
भीलनी के मन में चाव है,
और मन में मिलन का भाव है,
राम मेरें घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे।।
ना जानू सेवा पूजा की रीत,
क्या सोचेंगे मेरे मन के मीत,
शरमा रही, घबरा रही,
वो भोली भाली नार है,
प्रभु को भोलों से प्यार है,
राम मेरें घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे।।
चुन चुन लाई खट्टे मीठे बेर,
खाने में प्रभु क्यों करते हो देर,
प्रभु खा रहे, मुस्का रहे,
प्रभु के चरणों में गिर पड़ी,
और असुओ की लागी झड़ी,
राम मेरें घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे।।
तुम्हरे खातिर अटक रहे थे प्राण,
मुक्ति दे दो मुझको कृपानिधान,
मन में लगन, भीलनी मगन,
भीलनी से बोले राम है,
जा खुला तेरे लिए धाम है
राम मेरें घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे।।
जो कोई ढूंढे प्रभु को दिन और रात,
उसे ढूंढते एक दिन दीनानाथ,
तुम ठान लो, और मान लो,
‘बिन्नू; ये निश्चय जान लो,
श्री राम को अपना मान लो,
राम मेरें घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे।।
राम मेरे घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे,
भीलनी को भारी आस है,
भीलनी को भारी आस है,
और मन में ये विश्वास है,
राम मेरें घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
https://youtu.be/8P3YC8SdFtE