राम रस महंगा मिले मेरे भाई,
हरी का रस मेहगां मिले मेरे भाई,
ऐ पिया अमर हो जाय।।
आगे आगे अग्नि चलें रे,
पीछे हरिया होय राम रे,
पीछे हरिया होय,
धन बलिहारी वणा रुक ने,
रे काटया ही फल होय,
ऐ राम रस मेहगां मिले मेरे भाई।।
मीठा मीठा हर कोई पीवें,
कड़वा पीवें ना कोई,
राम रे कड़वा पीवें ना कोई,
कड़वा तो रे वोही नर पीवें,
जारे धड़ पे शीश न होय,
राम रस मेहगां मिले मेरे भाई।।
घाट घाट तो हर कोई नावें,
अवगट नावें न कोई,
राम रे अवगट नावें न कोई,
अवगट तो रे वोही नर नावें,
जारे जात पात न होय,
राम रस मेहगां मिले मेरे भाई।।
ध्रुव ने पिया प्रहलाद ने पिया,
और पिया रोही दास,
राम रे ओर पिया रोही दास,
दास कबीर सा ने भर भर धोबा,
ओर पिवन री आस,
राम रस मेहगां मिले मेरे भाई।।
राम रस महंगा मिले मेरे भाई,
हरी का रस मेहगां मिले मेरे भाई,
ऐ पिया अमर हो जाय।।
गायक – जगदीश चन्द्र जटिया।
मावली उदयपुर राजस्थान।
मोबाइल – 9950647154