जय जय रामदेव जयकारी,
विपत्त हरो तुम आन हमारी,
तुम हो सुख संपत्ति के दाता,
भक्त जनो के भाग्यविधाता।।
बाल रूप अजमल के धारा,
बन कर पुत्र सभी दुख टाला,
दुखीयो के तुम हो रखवाले,
लागत आप उनीको प्यारे,
आप ही रामदेव प्रभु स्वामी,
घट घट के तुम अंतरयामी,
तुम हो भक्तो के भयहारी,
मेरी भी सुध लो अवतारी।।
जग मे नाम तुम्हारा भारी,
भजते घर घर सब नर नारी,
दुखभंजन है नाम तुम्हारा,
जानत आज सकल संसारा,
सुन्दर धाम रूनीचा स्वामी,
तुम हो जग के अंतरयामी,
कलयुग मे प्रभु आप पधारे,
अंश एक पर नाम है न्यारे।।
तुम हो भक्त जनो के रक्षक,
पापी दुष्टजनो के भक्षक,
सोहे हाथ आपके भाला,
गल मे सोवे सुन्दर माला,
आप सुशोभित अश्व सवारी,
करो कृपा मुझ पर अवतारी,
नाम तुम्हारा ग्यान प्रकाशे,
पाप अविद्या सब दुख नाशे।।
तुम भक्तो के भक्त तुम्हारे,
नित्य बसो प्रभु हिये हमारे,
लीला अपरम्पार तुम्हारी,
सुखदाता भय भंजनहारी,
निर्बुद्धी भी विद्या पावे,
रोगी रोग बिना हो जावे,
पुत्रहीन सो संपत्ति पावे,
सुयश ग्यान प्रमोद मनावे।।
दुर्जन दुष्ट निकट नहीं आवे,
भूत पिशाच सभी टल जावे,
जो कोई पुत्रहीन नर ध्यावे,
निशचय ही नर वो सूत पावे,
तुमने डूबत नैया ऊबारी,
नमक किया मिसरी को साई,
पीरो को परचा तुम दिना,
नीर सरोवर खारा किना।।
तुमने पुत्र दिया दलजी को,
ग्यान दिया तुमने हरजी को,
सुगना का दुख तुम हर लीना,
पुत्र मरा सर्जीवन किना,
जो कोई तुमको सुमिरन करते,
उनके हित पग आगे धरते,
जो प्रभु शरन आपकी आवे,
मन इच्छा पूरण हो जावे।।
अलख निरंजन नेजाधारी,
किए दूर भक्तन दुख भारी,
दिनदयालु कृपालु रामा,
करे भक्त के पुरन कामा,
तुम कलयुग के प्रत्यक्ष हो देवा,
करे संतजन तेरी सेवा,
कर किरपा प्रभु पार लगावो,
दर्शन देकर भाग जगावो।।
नयनहीन के तुम रखवारे,
कोढ़ी पूंगल के दुख टारे,
नित्य पढे चालीसा कोई,
सुख संपत्ति वाके घर होई,
जो कोई भक्ति भाव से ध्यावे,
मनवांछित वो नर पावे,
मै भी सेवक हूँ प्रभु तेरा,
काटो जन्म मरन का फेरा।।
नित्य प्रेम सु पाठ सुनावे,
सकल भाँती जग में सुख पावे,
जगत शरन तेरी भगवाना,
तुम ही करनहार सुख नाना,
तुम कलयुग के प्रत्यक्ष हो देवा,
करे संत सुरचारण सेवा,
जो नित उठ चालीसा गावे,
ताके प्रभु सब काम बनावे।।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
Ok bhai manish sirvi