रमता जोगी आया नगरमा,
रमतां जोगी आया हो जी,
आवी ने अलख जगाया नगरमा,
रमतां जोगी आया हो जी।।
पांच पुत्र पच्चीस नारी,
एक नारीए उपजाया हो जी,
पांच पच्चीसने एक घर लावो,
पांच पच्चीसने एक घर लावो,
गमना दोर चलावो नगरमा,
रमतां जोगी आया हो जी।।
कोण घेर सुता कोण घेर जाग्या,
क्यां तो मन पधराया,
कोण पुरूष का आसन धरत है,
कोण पुरूष का आसन धरत है,
कोण शबद गुण गाया नगरमा,
रमतां जोगी आया हो जी।।
सूर्य घेर सुता शशी घेर जाग्या,
शुन्यमां मन पधराया,
अलख पुरूष का आसन धरत है,
अलख पुरूष का आसन धरत है,
सोहम शबद गुण गाया नगरमा,
रमतां जोगी आया हो जी।।
जाग्या ते नर परमपद पाम्या,
ऊंघ्यला जनम गुमाव्या,
कहत कबीर सुनो भाई साधु,
कहत कबीर सुनो भाई साधु,
अगम संदेशो लाया नगरमा,
रमतां जोगी आया हो जी।।
रमता जोगी आया नगरमा,
रमतां जोगी आया हो जी,
आवी ने अलख जगाया नगरमा,
रमतां जोगी आया हो जी।।
Singer – Hari Bharwad