मेरे खेड़ की वो भूमि,
रणछोड़ राय का धाम,
राजस्थान की धरती है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
चतुर्भुज रूप है जिसका निराला,
रणछोड़ राय जी नाम,
रण को छोड़ के आये जहाँ,
मुरली वाला श्याम,
बालोतरा के पास है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
है वो प्यारा खेड़ धाम।।
महाभारत के काल की,
हम कथा सुनाते है,
जरासंध को कृष्ण,
सत्रह बार हराते है,
युद्ध करने साँवरिया से,
कालयवन आया,
यदुवंशी से न मरने का,
वर उसने पाया,
युद्ध से कृष्ण जी वापस लौटे,
छोड़ें मथुरा श्याम,
राजस्थान की धरती है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
बालोतरा के पास है वो,
प्यारा खेड़ धाम।।
कालयवन से छुपते झिपाते,
ओखा में आये,
ओखा से फिर खेड़ में,
प्रभु आकर छिप जाये,
कालयवन को मारने का,
सोच रहे थे उपाय,
देवकी नंदन चिंता में है,
सूरज ढलता जाय,
कान्हा खेड़ में ही करते है,
वो रात्रि का विश्राम,
राजस्थान की धरती है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
बालोतरा के पास है वो,
प्यारा खेड़ धाम।।
पर्वषण पर्वत की गुफा में,
सोए थे मुचकुंद,
कोई न उनके पास में,
आंखे थी उनकी बंद,
सांवरिया ने पीताम्बर,
मचकुंद को पहनाया,
छुप गये वो आड़ में,
फिर कालयवन आया,
राक्षस समझा उनको श्याम,
मुचकुंद पे किया वार,
राजस्थान की धरती है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
बालोतरा के पास है वो,
प्यारा खेड़ धाम।।
क्रोधित होकर मचकुंद ने,
जब नेत्र अपने खोले,
भस्म हुआ वो कालयवन,
सारा पर्वत डोले,
रूप चतुर्भुज आकर के,
दर्शन दिए नंदलाल,
दिव्य रूप के दर्शन कर,
मचकुंद हुए निहाल,
बड़ी अदभुत लीला रचाये,
मुरलीवाला श्याम,
राजस्थान की धरती है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
बालोतरा के पास है वो,
प्यारा खेड़ धाम।।
चार भुजाएँ टेडी प्रतिमा,
नाम है रणछोड़,
प्राचीन तीर्थ खेड़ का,
नही दुनिया मे कोई तोड़,
आओ हम भी खेड़ चले,
इस मोह माया को छोड़,
मनोकामना पूर्ण करेंगे,
हम सबकी रणछोड़,
‘दिलबर’ और किशन कहता है,
जपता रहुँ तेरा नाम,
खेड़ का ट्रस्ट मण्डल ये कहता,
जपते रहे तेरा नाम,
राजस्थान की धरती है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
बालोतरा के पास है वो,
प्यारा खेड़ धाम।।
मेरे खेड़ की वो भूमि,
रणछोड़ राय का धाम,
राजस्थान की धरती है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
चतुर्भुज रूप है जिसका निराला,
रणछोड़ राय जी नाम,
रण को छोड़ के आये जहाँ,
मुरली वाला श्याम,
बालोतरा के पास है वो,
प्यारा खेड़ धाम,
है वो प्यारा खेड़ धाम।।
गायक – किशन गोयल बालोतरा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365