रनु बाई पाणी क जाय,
दोहा – माँ ममता की मूर्ति,
माँ ममता माँ प्यार,
माँ के बंधन से बंधा,
ये सारा संसार।
रनु बाई पाणी क जाय,
जाय न बड़ा खटका से,
लंबी चोटी न लाल फुंदो,
पाणी भरह मटका से।।
धनियर भी आयेल छै,
न कंगना भी लायेल छै,
हीरा जड़ित अनमोल,
खूब जड़ायेल छै,
पेरो पेरो रनु बाई हाथ,
पेरी लेव ठप्पा सी,
लंबी चोटी न लाल फुंदो,
पाणी भरह मटका से।।
ईश्वर जी आयेल छै न,
चुनर भी लायेल छै,
हीरा जड़ित अनमोल,
खूब जड़ायेल छै,
ओढ़ो ओढ़ो गवुर बाई माथ,
ओडी लेव ठप्पा सी,
लंबी चोटी न लाल फुंदो,
पाणी भरह मटका से।।
ब्रह्मा राजा अयेल छै,
न नतनी भी लायेल छै,
हीरा रतन अनमोल,
खूब जड़ायेल छै,
पेरो पेरो साईत बाई नाक,
पेरिलेव ठप्पा सी,
ठप्पा सी,
लंबी चोटी न लाल फुंदो,
पाणी भरह मटका से।।
रणुबाई पाणी क जाय,
जाय न बड़ा खटका से,
लंबी चोटी न लाल फुंदो,
पाणी भरह मटका से।।
गायक – महेश भाई नागराज।
प्रेषक – डॉ सजन सोलंकी।
9111337188