रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।
चमड़े के कमरे को तू क्या सम्हाले,
जिस दिन तुझे घर का मालिक निकाले,
इसका किराया भी भरना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।
आएगा नोटिस जमानत न होगी,
पल्ले में गर कुछ अमानत न होगी,
फिर होके कैद तुझे चलना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।
मेरी न मानो यमराज तो मनाएगें,
तेरा कर्म दंड मार मार भुगताएगें,
घोर नरक बीच दुख सहना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।
कहे गीतानंद फिरेगा तू रोता,
लाख चौरासी में खायेगा गोता,
फिर फिर जनम लेके मरना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।
रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।
स्वर – मनीष गौतम शास्त्री।
9981109023