रिध्दि सिध्धि के दाता सुनो गणपति,
तर्ज – हाल क्या है दिलो का ना।
>> श्लोक <<
सारी चिंता छोड़ दो,
चिंतामण के द्वार,
बिगड़ी बनायेंगे वही,
विनती कर स्वीकार,
बड़े बड़े कारज सभी,
पल मे करे साकार,
बड़े गणपति का है साथ,
सच्चा ये दरबार,
सिध्द हो हर कामना,
सिध्दिविनायक धाम,
खजराना मे आन बसे मेरे,
शिव गौरी के लाल।।
रिध्दि सिध्धि के दाता सुनो गणपति,
आपकी मेहरबानी हमें चाहिये,
पहले सुमिरन करूँ गणपति आपका,
लब पे मीठी सी वाणी हमें चाहिये,
रिध्दि सिध्धि के दाता सुणो गणपति।।
सर झुकाता हूँ चरणों मे सुन लीजिये,
आज बिगड़ी हमारी बना लीजिये,
ना तमन्ना है धन की ना सर ताज की,
तेरे चरणों की सेवा हमें चाहिये,
रिध्दि सिध्धि के दाता सुणो गणपति।।
तेरी भक्ति का दील मे नशा चूर हो,
बस आँखो मे बाबा तेरा नूर हो,
कण्ठ पे शारदा माँ हमेशा रहे,
रिध्धि सिध्धि का वर ही हमें चाहिये,
रिध्दि सिध्धि के दाता सुनो गणपति।।
सारे देवों मे गुणवान दाता हो तुम,
सारे वेदों मे ज्ञानो के ज्ञाता हो तुम,
ज्ञान देदो भजन गीत गाते रहे,
बस यही ज़िन्दगानी हमें चाहिये,
रिध्दि सिध्धि के दाता सुनो गणपति।।
रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति,
आपकी मेहरबानी हमें चाहिये,
पहले सुमिरन करूँ गणपति आपका,
लब पे मीठी सी वाणी हमें चाहिये,
रिध्दि सिध्धि के दाता सुणो गणपति।।
अति सुंदर भजन
Nice bhajan
Bhut hi sundar
ममता सिंह