रिमझिम फुहारो सा आनँद होगा,
जिस दिन तेरा मन पावन होगा,
नाम निरँतर घट मे तेरे,
जिसदिन जापन होगा,
रिमझिम फुहारो सा आनंद होगा,
जिस दिन तेरा मन पावन होगा।।
तर्ज – झिलमिल सितारोँ का।
प्रेम की बाती से अपना,
दीप तू जलाय ले,
प्यारे सतगुरु की छवि,
मन मे बसाय ले,
ज्योति से घर तेरा,
रोशन होगा,
जिस दिन तेरा मन पावन होगा।।
बैठ सुबहो शाम नित,
ध्यान को तू करना,
सीख ले गुरू से अपने,
जीना और मरना,
जग मे कभी फिर ना,
आवन होगा,
जिस दिन तेरा मन पावन होगा।।
मुट्ठी बाँध के आया जग मे,
खाली हाथ न जाना,
जो तू लेकर आया उसको,
दुगना कर ले जाना,
तरने का भव से वो,
साधन होगा,
जिस दिन तेरा मन पावन होगा।।
रिमझिम फुहारो सा आनँद होगा,
जिस दिन तेरा मन पावन होगा,
नाम निरँतर घट मे तेरे,
जिसदिन जापन होगा,
रिमझिम फुहारो सा आनंद होगा,
जिस दिन तेरा मन पावन होगा।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
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