रूप है जिनका हनुमत जैसा,
देव न कलयुग में कोई ऐसा,
जिनके रूप में बैठी बाईसा,
बाबोसा बाबोसा,
बाबोसा बाबोसा,
प्यारा सा बाबोसा का मुखड़ा,
ऐसे लागे ज्यो चांद का टुकड़ा,
भक्तो के मन भाये बाबोसा,
बाबोसा बाबोसा,
बाबोसा बाबोसा।।
तर्ज – हंसता हुआ नूरानी चेहरा।
सूरज सा तेज मुख पे,
बरस रहा नूर है,
चुरू वाले बाबोसा,
जग में मशहुर है,
कोई माने या ना माने,
हम तो बस है इनके दीवाने,
सब कुछ मिला और मांगू क्या,
रूप हैं जिनका हनुमत जैसा,
देव न कलयुग में कोई ऐसा,
जिनके रूप में बैठी बाईसा,
बाबोसा बाबोसा,
बाबोसा बाबोसा।।
बाबोसा मतवाले,
इनका दीदार कर,
दिल में बसाले,
बाबोसा का ध्यान धर,
तन में मन में,
इस जीवन में,
‘दिलबर’ तू ही,
धरती गगन में,
‘विभु’ को भक्ति से सब मिला,
रूप हैं जिनका हनुमत जैसा,
देव न कलयुग में कोई ऐसा,
जिनके रूप में बैठी बाईसा,
बाबोसा बाबोसा,
बाबोसा बाबोसा।।
रूप है जिनका हनुमत जैसा,
देव न कलयुग में कोई ऐसा,
जिनके रूप में बैठी बाईसा,
बाबोसा बाबोसा,
बाबोसा बाबोसा,
प्यारा सा बाबोसा का मुखड़ा,
ऐसे लागे ज्यो चांद का टुकड़ा,
भक्तो के मन भाये बाबोसा,
बाबोसा बाबोसा,
बाबोसा बाबोसा।।
गायिका – विभु मालवीया इंदौर।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365