रोते हैं जो याद में तेरी,
उनको नहीं भुला देना,
इतनी कृपा कर दो बाबा,
उनको खाटू बुला लेना,
रोते है जो याद में तेरी,
उनको नहीं भुला देना।।
तर्ज – रो रो कर फरियाद करा हाँ।
आ नहीं पाते दर पे तेरे,
कोई तो मज़बूरी है,
क्या कारण है मुझको बताओ,
उनसे क्यों ये दुरी है,
क्षमा करो उनकी गलती को,
और ना उनको सजा देना,
रोते है जो याद में तेरी,
उनको नहीं भुला देना।।
तुझको पाकर हम हँसते है,
पर कोने में वो रोते है,
घायल पक्षी के जैसे वो,
जागते है ना सोते है,
उनके विरह की पीड़ा पे,
मरहम आके लगा देना,
रोते है जो याद में तेरी,
उनको नहीं भुला देना।।
हमने सुना है हर फागण में,
बाबा सुनते हो सबकी,
छोटी सी है अर्जी ‘श्याम’ की,
मान लो बाबा अब की,
हो सके तो जाकर उनको,
अपनी झलक दिखा देना,
रोते है जो याद में तेरी,
उनको नहीं भुला देना।।
रोते हैं जो याद में तेरी,
उनको नहीं भुला देना,
इतनी कृपा कर दो बाबा,
उनको खाटू बुला लेना,
रोते है जो याद में तेरी,
उनको नहीं भुला देना।।