रूड़ो म्हारो देव धणी को देवरो,
अन्नदाता रुड़ो थारो दरबार,
म्हारा देव नारायण,
शरणे आया वो।।
शरणे आया ने सोरा राखजो,
वो देवजी राखो ने हिवड़े लपाय,
म्हारा देव नारायण,
शरणे आया वो।।
हे जड़ुलिया को जागरण जागे,
देवरे अन्दाता,
बेगा पधारों जागरण माई,
म्हारा देव नारायण,
शरणे आया वो,
साडु का लाला,
शरणे आया वो।।
हे रुड़ी बाजंडी आवे,
द्वारा पे अन्दाता,
बाजंड़ीया रे पालणीया बन्धाय,
म्हारा देव नारायण,
शरणे आया वो।।
अर्जी टाबरिया री,
थे सांभलो वो देवजी,
शरणे आया री किजो सहाय,
म्हारा देव नारायण,
शरणे आया वो,
साडु का लाला,
शरणे आया वो।।
हो मैं तो उबा नारायण,
थाके बारणे,
शरणे आया ने सोरा राख,
रुड़ो ने सवायो लागे देवरों।।
हे देवजी गांव खेमाणा माई,
थाको देवरों,
नारायण आवो आवो,
जागरण के माई,
रुड़ो ने सवायो लागे देवरों।।
रूड़ो म्हारो देव धणी को देवरो,
अन्नदाता रुड़ो थारो दरबार,
म्हारा देव नारायण,
शरणे आया वो।।
गायक – भगवत सुथार।
प्रेषक – लोकेश गाडरी।
स्थान – खेमाणा।