अड़ी ढाल से ढाल कटार्या,
कमरया में लटकी रेगी,
रुकमणी हरण कानूडो करग्यो,
अना चैत की हद वेगी।।
अम्बा पूजन गई रुकमणी,
सज धज के सोला सिंगार,
मंदिर से महला तक भाया,
पहरो लाग्यो नंगी तलवार,
कोई सुरमो जान सक्यो नही,
या छू मंतर कुकर वेगी,
रुक्मणी हरण कानूडो करग्यो,
अना चैत की हद वेगी।।
तुर्रा लटकन मोड़ बांध कर,
शिशुपाल हाथी चढ़ आयो,
अनगनती की फोजा लारे,
जोड़ी का जान्या लायो,
बना बिंदनी बिंद रेग्यो,
जान जिमबा में रेगी,
रुक्मणी हरण कानूडो करग्यो,
अना चैत की हद वेगी।।
चवरया में भंवरिया पड़गी,
मची बयाव में रोल घणी,
लड़ लड़ फोजा मरवा लागी,
राक सकयो कोई धीर नही,
जबर दस्त फौजा को पहरों,
विमे गली कुकर रेगी,
रुक्मणी हरण कानूडो करग्यो,
अना चैत की हद वेगी।।
पुरो घर राजी नी वैवे तो,
नही करणों खेचा तानो,
बिंदनी पेली नट जा तो,
पछे पर्नबा नही जानो,
कहे ऊंकार शिशुपाल रेज्ञो,
बिना बिन्दनी को जी,
रुक्मणी हरण कानूडो करग्यो,
अना चैत की हद वेगी।।
अड़ी ढाल से ढाल कटार्या,
कमरया में लटकी रेगी,
रुकमणी हरण कानूडो करग्यो,
अना चैत की हद वेगी।।
गायक – प्रकाश जाट।
प्रेषक – बालाजी टेलर।
गोपालपूरा – 9799285289