ओ रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो,
धोरा धरती में सुन्दर धाम बण्यो,
रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो।।
अरे निलो घोडो नवल को ज्यारे,
मोतिया जडी रे लगाम,
अरे जिण पर बेठा रामदेव जी,
कलयुग रा अवतार जी,
रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो।।
हे रामा कहुं के रामदेव जी,
हीरा कहुं के लाल,
अरे ज्याने मिलिया रामदेव जी,
पल में किन्हा निहाल जी,
रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो।।
अरे हरजी ने तो हर मिल्या जी,
आडे मारग आय,
हो प्रभु घुमण ने घोडो दियो जी,
दुध पिवण ने गाय जी,
रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो।।
अरे पिछम धरा रा बावजी रे,
म्हारा रामाराज कंवार,
सांचा मन सुं जो कोई ध्यावे,
पुरे मन री आश जी,
रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो।।
हो रामा सामा आवजो रे,
कलयुग भयो रे करुर,
अरज करुं अजमाल रा जी,
हैलो सांभलो हुजुर जी.
रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो।।
अरे हरजी भाटी री विणती जी,
सुणजो रामा कंवार,
दर्शण दिजो किरपा किजो हे,
मोटा थे दातार जी,
रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो।।
ओ रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो,
धोरा धरती में सुन्दर धाम बण्यो,
रुणिचे रा राजा,
धोरा धरती में सुन्दर देवरो।।
स्वर – भगवत सुथार।
प्रेषक – नारायण रेगर,
फोन नंबर – 9549365704