सारा जमाना ओ श्याम का दीवाना,
जीना हो सर उठा के,
शरण में इनकी आना,
सारा ज़माना।।
तर्ज – सारा जमाना।
विश्वास दिल से करले,
हर काम तेरा होगा,
खुद को तू कर समर्पित,
फिर श्याम तेरा होगा,
छोड़ेगा कभी ना तेरा साथ,
सारा जमाना ओं श्याम का दीवाना,
जीना हो सर उठा के,
शरण में इनकी आना,
सारा ज़माना।।
जिसे दुनिया ख्वाब समझे,
वो हकीकत है यहाँ पे,
अरे पत्थर की भी प्यारे,
बड़ी कीमत हैं यहाँ पे,
यहाँ की निराली हर बात,
सारा जमाना मेरे श्याम का दीवाना,
जीना हो सर उठा के,
शरण में इनकी आना,
सारा ज़माना।।
जो दीवाने श्याम के हैं,
उनका ना हाल पूछो,
क्या क्या मिला हैं उनको,
ना ये सवाल पूछो,
‘सोनू’ मुश्किल है देना जवाब,
सारा जमाना ओं श्याम का दीवाना,
जीना हो सर उठा के,
शरण में इनकी आना,
सारा ज़माना।।
सारा जमाना ओ श्याम का दीवाना,
जीना हो सर उठा के,
शरण में इनकी आना,
सारा ज़माना।।
स्वर – शीतल पांडेय जी।