सारे जग से प्यारा है,
अपना वतन,
वतन का ना होने,
देंगे पतन,
सारे जग से प्यारा हैं,
अपना वतन।।
तर्ज – बहुत प्यार करते है।
आजाद भगत सिंह इसी,
धरती पे आए,
जिन्होंने वतन के लिए,
प्राण गंवाए,
इसी धरती पे आये,
राम और किशन,
सारे जग से प्यारा हैं,
अपना वतन।।
‘धीरज’ का तुमसे,
यही सिर्फ कहना,
आपस में सभी,
हिल-मिल के रहना,
उजड़ने ना देना,
देश का चमन,
सारे जग से प्यारा हैं,
अपना वतन।।
सारे जग से प्यारा है,
अपना वतन,
वतन का ना होने,
देंगे पतन,
सारे जग से प्यारा हैं,
अपना वतन।।
गायक / प्रेषक – धीरज कुमार गोस्वामी ‘रसिक जी’
9675791222