सारी दुनिया में मैंने,
चैन कहीं ना जब पाया,
अब तेरी शरण में आया,
बाबा अब तेरी शरण में आया।।
तर्ज – दुनिया बनाने वाले।
हमने सुना है लाखो,
पापी है तारे,
महिमा सुन के आया,
दर पे तुम्हारे,
मेरी भी सुन ले,
ओ खाटू वाले,
नाव भंवर में मेरी,
इसको बचा ले,
दर दर की ठोकर खाई,
दर तेरा अब पाया,
अब तेरी शरण में आया,
बाबा अब तेरी शरण में आया।।
दुनिया के धोखे खाकर,
मन पछताया,
दर्द अपना मैंने,
तुमको सुनाया,
तेरे दर को जो छोड़ूँ,
और कहां जाऊं,
जख्म यह दिल वाले,
किसको दिखाऊं,
आजा सांवरिया प्यारे,
अब तो मैं हार के आया,
अब तेरी शरण में आया,
बाबा अब तेरी शरण में आया।।
झूठे रिश्ते नाते,
झूठा जमाना,
झूठे यह महल अटारी,
झूठा खजाना,
जिस तन पर तू इतना,
मान करे है,
एक दिन उसको भी,
छोड़ के जाना,
सच्चा एक नाम तुम्हारा,
झूठी है जग की ये माया,
अब तेरी शरण में आया,
बाबा अब तेरी शरण में आया।।
मेरे बाबा ने मुझको,
राह दिखाई,
‘गोपाल’ ने शब्दों की.
माला बनाई,
‘कृष्णा’ ने आकर के,
धुन है बजाई,
‘गोविंद’ ने संग में,
ताल मिलाई,
भगत ये सारे झूमे,
‘राघव’ ने साथ निभाया,
अब तेरी शरण में आया,
बाबा अब तेरी शरण में आया।।
सारी दुनिया में मैंने,
चैन कहीं ना जब पाया,
अब तेरी शरण में आया,
बाबा अब तेरी शरण में आया।।
– लेखक व गायक –
गोपाल प्रजापति
8533026845