सारी सभा मिल बोलो राम राम,
छंद – कहे सन्त सगराम,
तू भोंदू भज रे पीव,
बैठो क्यों सगराम कहे,
ऊंडी देने नीवं।
ऊंडी दे ने नींव,
हिया फुटोड़ा गैला,
कर आगे ने ठौड़,
अटे कुंण रेवण देला।
लख चौरासी जूण में,
रुळियो फिरसी जीव,
मिनखा तन दीनो थने,
भौंदू भज रे पीव।।
जाणो पड़सी जीवड़ा,
छोड़ जगत व्यवहार,
दोय दिनों रो रेवणो,
हरि भज उतरो पार।
पाँचों ही नोबत बाजती,
होती छतीसु राग,
सो मंदिर खाली पड़या,
बैठण लागा काग।
रहता रंग महल रे माय,
झरोखे झाँक ता।
चालता टेढ़ी चाल,
चढ़ के डाकता।
डोडी पाग झुकाय,
दिखावत आरसी।
अरे हा बाज़िन्द वे नर गया,
बिलाय पढन्ता फारसी।।
सारी सभा मिल बोलो राम राम,
राम जी ने भजिया सू सुधरेला काम।।।
ईश्वर कैसी करी चतुराई,
ऐसी सुंदर देह बणाई,
जगह जगह पर सन्धि मिलाई,
भीतर हड्डियां बाहर चाम,
सारी सभा मिल बोलों राम राम।।
दया विचार मानुष तन दीनो,
इण में खामी एक न कीनो,
उधम करने हाथ पग दीना,
षट रस भोजन सुबह अर शाम,
सारी सभा मिल बोलों राम राम।।
आंख्या दे कर वस्तु दिखाई,
नाक बना कर सुगन्ध लिराई,
ऐसे राम जी ने भुलो मती भाई,
याद करो तुम आठों याम,
सारी सभा मिल बोलों राम राम।।
श्रवण सेती सुणो सत कहणा,
सुणके शब्द हिरदे धर लेणा,
सांस बटाऊ सराय का रेणा,
आये हैं सो जाये तमाम,
सारी सभा मिल बोलों राम राम।।
दाना राम जीकी ये हैं अर्जी,
बातां छोड़ो झूठी फर्जी,
नहीं मानों तो थांरी मर्जी,
सत्संग किया मिले सुख धाम,
सारी सभा मिल बोलों राम राम।।
सारी सभा मिल बोलो राम राम,
राम जी ने भजिया सू सुधरेला काम।।।
गायक – संत राघवानंद जी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052