सब जग ईश्वर रूप लखावे,
गीता माँ की दीक्षा है,
ईश्वर नाम निशान मिटावे,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
दैवी संपति के गुन लावे,
गीता माँ की दीक्षा है,
असुर भाव जगमें फैलावे,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
पैंड पैंड पर धरम सिखावे,
गीता माँ की दीक्षा है,
धरम विरोधी पाठ पढ़ावे,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
स्वारथ छोड़ करो जग सेवा,
गीता माँ की दीक्षा है,
कारन बिना बने दुख देवा,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
हरि अरपित शुचि भोजन पाना,
गीता माँ की दीक्षा है,
अण्डे, मांस तामसी खाना,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
सबही के हित में रत रहना,
गीता माँ की दीक्षा है,
औरों का उतकर्ष न सहना,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
ऊपर अलग एक हो भीतर,
गीता माँ की दीक्षा है,
ऊपर एक अलग हो भीतर,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
सब महँ आत्म भाव अपनाना,
गीता माँ की दीक्षा है,
वरन भेद तजि सँग महँ खाना,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
अक्षय सुख का अनुभव करना,
गीता माँ की दीक्षा है,
राग द्वेष महँ हरदम जलना,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
बिनु दीक्षा के घातक शिक्षा,
देखो करो परीक्षा है,
वो शिक्षा भारत में कैसें,
यह ही बड़ी समीक्षा है।।
सब जग ईश्वर रूप लखावे,
गीता माँ की दीक्षा है,
ईश्वर नाम निशान मिटावे,
भ्रष्ट आज की शिक्षा है।।
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