सब जीते जी के झगड़े है,
ये मेरा है वो तेरा है,
जब तन से स्वासें निकल गई,
क्या तेरा है क्या मेरा है,
सब जीते जी के झगडे है।।
तर्ज – मैं पल दो पल का शायर।
हम से पहले यहाँ कितनो का,
सब माल खज़ाना छूट गया,
देखा सबने कोई अपना ही,
आकर के उनको लूट गया,
जिस दिन तू जग से जाएगा,
कोई साथ ना तेरे आएगा,
तेरे अपने चिता सजायेंगे,
कोई अपना आग दिखायेगा,
सब जीते जी के झगडे है।।
झूठे रिश्ते झूठे नाते,
झूठी बातों में खोया है,
इस झूठी दुनिया में फँस कर,
हर इंसा एक दिन रोया है,
तेरी क्या जग में हस्ती है,
ये बेईमानो की बस्ती है,
तुझको भी भुला देगी प्यारे,
ये दो पल रोकर हंसती है,
सब जीते जी के झगडे है।।
प्रभु ने जो स्वासें दी तुझको,
इनको ना व्यर्थ गंवाया कर
कुछ पल फुर्सत के लेकर के,
श्री श्याम शरण में आया कर,
उस प्रभु का हर पल शुक्र करें,
हम स्वास स्वांस में ज़िकर करें,
‘रोमी’ जब संग है सांवरिया,
किस बात का हम फिर फ़िक्र करें,
सब जीते जी के झगडे है।।
सब जीते जी के झगड़े है,
ये मेरा है वो तेरा है,
जब तन से स्वासें निकल गई,
क्या तेरा है क्या मेरा है,
सब जीते जी के झगडे है।।
स्वर / रचना – रोमी जी।
प्रेषक – निलेश मदनलालजी खंडेलवाल।
9765438728
Bhut sundar bhajan h Radhe Radhe ?