सच्चे ना सही झूठे ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है।।
पहले तो बनाया था अपना,
फिर मुखड़ा कैसे मोड़ लिया,
लायक ना सही जाहिल ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है,
सच्चें ना सही झूठें ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है।।
बेताब ना कर बर्बाद ना कर,
हैरान ना कर अपनी रेहमत से,
ज्ञानी ना सही नादां ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है,
सच्चें ना सही झूठें ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है।।
पहले भी अधम तो तारे है,
फिर मुझको कैसे छोड़ दिया,
साधक ना सही सेवक ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है,
सच्चें ना सही झूठें ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है।।
तुम आए नहीं ऐ श्याम सुन्दर,
हम याद में जीते मरते है,
हँसते ना सही रोते ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है,
सच्चें ना सही झूठें ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है।।
सच्चे ना सही झूठे ही सही,
आख़िर तो तेरे दीवाने है।।
स्वर – गौरव कृष्ण जी गोस्वामी