साधो भाई खोजी गुरु हमारा,
खोज करे जने खबर पडेला,
मुर्ख पछ पछ हारा।।
जल का वास भाल में कहिए,
लिंग कहिए द्वारा,
जिनका रंग धवला कहिए,
मुत्र मैथुन अहारा,
साधों भाई खोजी गुरु हमारा।।
अग्नि का वास पीता में कहिए,
नैत्र कहिए द्वारा,
जिनका तो रंग लाल कहिए,
अरख परख अहारा,
साधों भाई खोजी गुरु हमारा।।
वायु का वास नाभि में कहिए,
नाक कहिए द्वारा,
जिनका रंग लीला कहिए,
गंध सुगंध अहारा,
साधों भाई खोजी गुरु हमारा।।
नभ का वास शिखर में कहिए,
कान कहिए द्वारा,
जिनका तो रंग नीला कहिए,
शब्द कुशब्द अहारा,
साधों भाई खोजी गुरु हमारा।।
पृथ्वी का वास कलेजा में कहिए,
मुख कहिए द्वारा,
जिनका तो रंग पीला कहिए,
खान पान अहारा,
साधों भाई खोजी गुरु हमारा।।
मछ्चिन्द्र प्रताप जति गोरख बोले,
ज्ञान बताया सत सारा,
साधों भाई खोजी गुरु हमारा।।
साधो भाई खोजी गुरु हमारा,
खोज करे जने खबर पडेला,
मुर्ख पछ पछ हारा।।
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