साधो भाई रमता रावल आया,
अनहद बिन बजाया।।
पांचो रा भूप पच्चीसो रा न्याति,
एकण जरनी जाया,
गुण अवगुण से न्यारा खेले,
बहुरंग रूप दिखाया।।
रंग नही रूप शाखा नही उनके,
ऐसा डमरू बजाया,
इड़ा पिंगला सारंग लावे,
सुखमन रूप दिखाया।।
किण घर सोवो किण घर जागो,
किण में जाय समाया,
किया पुरुष री करो सेवना,
कुण थाने शब्द सुनाया।।
शशि घर सोवो भाण घर जागो,
सुन्न में जाय समाया,
आद पुरुष री करो सेवना,
सतगुरु शब्द सुणाया।।
जागतड़ा पूरा पद पावे,
उँगतड़ा जन्म डुबोया,
कहत कबीर सुणो भाई साधो,
अगम देश से आया।।
साधो भाई रमता रावल आया,
अनहद बिन बजाया।।
गायक – श्यामनिवास भाटी पिलोवनी।
9983121148